कंप्यूटर के प्रकार – Types Of Electronic Computers In Hindi: जी हाँ ! इस लेख में आप जानेंगे इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर कितने प्रकार के होते हैं ? तथा Micro Computer, Mini Computer, Main Frame Computer तथा Super Computer एवं उनके Types के बारे में। लेकिन इन सभी के बारे में जानने से पहले आईये हम सर्वप्रथम Analog, Digital & Hybrid के बारे में जानते हैं।
विषय - अनुक्रम
1. एनालॉग कम्प्यूटर्स (Analog Computers)
एनालॉग कंप्यूटर वे कंप्यूटर होते हैं, जो भौतिक मात्राओं (physical parameters) जैसे – दाब (pressure), तापमान, लम्बाई आदि को मापकर उनके परिमाप (values) अंकों में व्यक्त करते हैं। ये कंप्यूटर किसी राशि का परिमाप तुलना के आधार पर करते हैं। जैसे कि एक थर्मामीटर कोई गणना नहीं करता है अपितु या पारे के सम्बंधित प्रसार (Relative Expansion) की तुलना करके शरीर के तापमान को मापता है।
एनालॉग एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है किन्हीं दो राशियों में समरूपता ढूढ़ना। एनालॉग कम्प्यूटर्स का प्रयोग किसी भौतिक क्रिया (physical process) का प्रारूप बनाकर उस क्रिया को लगातार जारी रखने के लिए निर्देश देने के लिए किया जाता है।
इस computer का मुख्य रूप से विज्ञान और engineering के क्षेत्र में प्रयोग किये जाते हैं। क्योंकि इन क्षेत्रों में मात्राओं (Quantities) का अधिक उपयोग होता है। ये कंप्यूटर केवल अनुमानित परिमाप (Approximate Value) ही देते हैं। जैसे की – एक पेट्रोल पंप में लगा एनालॉग कंप्यूटर, पंप से निकले petrol की मात्रा को मापता है और लीटर में दिखाता है तथा उसके मूल्य की गणना करके screen पर दिखाता है।
किसी भौतिक क्रिया को गणतीय समीकरणों में बदलकर एनालॉग कम्प्यूटर्स के एम्पलीफायर ब्लॉक्स (Ampli-Fire Blocks) की सहायता से इसके अनुरूप विद्दुत परिपथ बनाकर इसे पूर्वनिर्धारित process के द्वारा electronic model तैयार कर लिया जाता है।
इस पूर्व निर्धारित process के कारण निर्देशों (instructions) को कंप्यूटर समझकर उनके अनुसार कार्य करता है। इन कम्प्यूटर्स से पूर्णतः शुद्ध परिणाम (result) नहीं प्राप्त होते हैं, परन्तु 99 % तक शुद्ध परिणाम प्राप्त किया जा सकते हैं।
2. डिजिटल कम्प्यूटर्स (Digital Computers)
डिजिटल का अर्थ है अंक। डिजिटल पद्धति में अंक अपने स्थान से विस्थापित हो सकते हैं। यदि आप ध्यान दें तो पाएंगे कि – इलेक्ट्रॉनिक watch (घड़ी) अथवा calculator डिजिटल पद्धति पर आधारित है। इनमे सभी अंक 8 पर आधारित होते हैं; क्योंकि 8 ही एक ऐसा अंक है जिसके विभिन्न भागों को प्रदर्शित (display) किया जा सकता है।
डिजिटल कंप्यूटर वह कंप्यूटर होते हैं, जो अंको (digits) की गणना करता है। जब अधिकतर लोग computer के बारे में विचार-विमर्श करते हैं तो डिजिटल कंप्यूटर ही केंद्र बिन्दु होता है। ये ऐसे कंप्यूटर होते हैं, जो व्यापर (Business) चलाते हैं।
इनमे 8 अंक को 7 प्रदीप्त छड़ों (LED) से बनाया जाता है। भिन्न-भिन्न अंक के लिए इनमे से कुछ छड़ों को प्रदीप्त करके प्रदर्शित किया जा सकता है। डिजिटल कंप्यूटर भी केवल दो अंको 0 और 1 पद्धति (Binary System) पर आधारित है।
डिजिटल कंप्यूटर में memory पर विभिन्न खानो की रचना की जाती है, जिस खाने में बाइनरी कोड ‘1’ द्वारा signal पहुँचता है और वह सक्रिय हो जाता है। वहीँ जिस खाने पर बाइनरी कोड ‘0’ के कारण signal नहीं पहुँचता, वह निष्क्रिय हो जाता है। इसी प्रकार कंप्यूटर के circuit द्वारा binary code 0, 1 के आधार पर स्विचिंग (switching) करके अक्षरों को प्रदर्शित किया जाता है।
यह computer सभी गणनाएं, अंकगणित को आधार को मानकर करते हैं। डिजिटल कंप्यूटर किसी भी data को binary के रूप में परिवर्तित करके बाइनरी योग (जोड़) के आधार पर सभी तरह की गणना कर लेता है। डिजिटल कम्प्यूटर्स के कार्य निम्नानुसार होता है :
- सूचनाओं को विश्लेषण के लिए आवश्यक समय तक संगृहीत करना
- प्रदत्त सूचनाओं का संवाहन
- अतिसूक्ष्म समय में विश्लेषण
- अंकगणितीय समय में विश्लेषण
- विश्लेषित परिणामो को प्रिंटर की सहायता से प्रिंट करना
डिजिटल कम्प्यूटर्स और उनके प्रकार
वर्तमान में सामान्यतः प्रयोग किये जाने वाले कम्प्यूटर्स डिजिटल कम्प्यूटर्स ही हैं। डिजिटल कम्प्यूटर्स को आकर एवं कार्य-पद्धति के आधार पर निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया गया है :
1. माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)
इस कंप्यूटर को माइक्रो कंप्यूटर दो कारणों से कहा जाता है – पहला, इस कंप्यूटर में माइक्रो प्रोसेसर (micro processor) का प्रयोग होता है, और दूसरा, यह कंप्यूटर अन्य कम्प्यूटर्स की तुलना में अत्यंत लघु आकार का है। माइक्रो कंप्यूटर आकार में इतना छोटा है कि इसको एक study table पर रखकर प्रयोग किया जा सकता है।
यदि इस कंप्यूटर की तुलना आकार के आधार पर मेनफ़्रेम कंप्यूटर (main frame computer) से की जाए, तो यह मेनफ़्रेम से उतना ही छोटा है जैसे मनुष्य और उसका नाख़ून। यह कंप्यूटर सामान्यतः सभी प्रकार के कार्य कर सकता है। इसकी कार्य प्रणाली तो लगभग बड़े कम्प्यूटर्स के समान ही होती है, परन्तु इसका आकार उनकी तुलना में कम होता है। इस कंप्यूटर पर सामान्यतः एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है।
Micro Computer में एक ही c.p.u. होता है, ये कई आकार के होते हैं। जैसे :-Desktop ,Laptop, Palmtop इत्यादि प्रकार के होते हैं। Micro processor तकनीकी में बढ़ते हुए विकास के साथ यह छोटा और portable हो गया है।
I.B.M की पर्सनल कंप्यूटर की श्रृंखला के रूप में यह कंप्यूटर जन-सामान्य में प्रचलित हो गया। इसके लोकप्रिय होने के कारण इनमे प्रयोग किये जा सकने वाले software बड़ी संख्या में विकसित होने लगे। माइक्रो कंप्यूटर चार प्रकार के होते हैं, जो निम्नानुसार है :
1. पर्सनल होम कंप्यूटर (Personal Home Computer)
इस प्रकार के पर्सनल कम्प्यूटरों को television के साथ जोड़ा जा सकता है। पर्सनल होम कंप्यूटर में न तो हार्ड डिस्क होती है, न ही फ्लॉपी डिस्क। इसमें बाह्या स्मृति (memory) के लिए छोटी-छोटी कार्टरिज लगायी जा सकती है। होम कंप्यूटर की RAM (Random Access Memory) भी बहुत कम होती है। इसीलिए सामान्यतः ये केवल खेलने के काम आते हैं।
प्रत्येक पर्सनल होम कंप्यूटर पर केवल उसी कंपनी के software चलाये जा सकते हैं, जिस company ने उस कंप्यूटर को बनाया है। ये सॉफ्टवेयर की एक छोटी सी कार्टरिज में भरे होते हैं। पर्सनल होम कंप्यूटर की यह विशेषता है कि – उनका अपना operating system होता है।
इन कम्प्यूटरों में video games तथा व्यावहारिक कार्यों जैसे database, income tax, personal diary, budget आदि का record रखने की व्यवस्था होती है। पर्सनल होम कंप्यूटर में वीडियो गेम्स खेलने के लिए जॉयस्टिक (Joy Stick) लगाने की व्यवस्था होती है।
2. एजुकेशनल माइक्रो कंप्यूटर (Educational Micro Computer)
इस प्रकार कम्प्यूटर्स में मॉनिटर (Video Display Unit) को लगाने की आवश्यकता होती है। इन कम्प्यूटर्स का प्रयोग स्कूल में बच्चो को programming अथवा अन्य शैक्षणिक कार्यों के लिए किया जाता है।
3. पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer)
पर्सनल कंप्यूटर मूलतः माइक्रो कंप्यूटर ही है। इनकी कीमत कम एवं बहुउपयोगी होने कारण, ये दिन प्रतिदिन लोकप्रिय होते जा रहें हैं। कम्प्यूटर्स पर प्रयोग किये जा सकने वाले अनेक सॉफ्टवेयर आज market में उपलब्ध है। पर्सनल कम्प्यूटर्स को भी तीन भागों में बता गया है – PC, DC-XT और PC-AT
DC केवल प्रारंभिक उपयोग के लिए ही उचित है। इन क्प्म्पुटर की केंद्रीय विश्लेषण इकाई 808 से 8088 तक होती है तथा बाह्या युक्ति प्रयोग में लायी जाती है। DC-XT का प्रयोग छोटे कार्यों के लिए किया जाता है। इन कम्प्यूटर्स का CPU (Central Processing Unit) 8088 होता है। इन कम्प्यूटर्स में बाह्या भण्डारण युक्ति अर्थात Hard Disk का भी प्रयोग किया जा सकता है।
PC-AT का प्रयोग उच्च स्तर के कार्यों के लिए किया जाता है। PC-AT का CPU 80286, 80386, 80486 या Pantium होता है। सामान्य भाषा में वे कम्प्यूटर्स, जिनमे हार्डडिस्क नहीं लगी होती भले ही उसमे CPU Pantium लगा हो; PC ही कहलाता है।
4. इलेक्ट्रॉनिक डायरी या लैपटॉप कंप्यूटर (Electronic Diary or Laptop Computer)
ये कंप्यूटर आकार में एक छोटे ब्रीफ़केस के समान होते हैं। इनका भार लगभग 3.5 kg होता है। इन कम्प्यूटर्स की क्षमता PC-AT से भी अधिक होती है। इनमें monitor के स्थान पर एक छोटा-सा LCD (Liquid Crystal Display) का डिस्प्ले screen होता है। इस कंप्यूटर को कॉर्पोरेट सैन्य अधिकारीयों के लिए तैयार किया गया था।
क्योंकि उन्हें अक्सर व्यापारिक कार्य से बाहर जाना पड़ता था; इस computer में कंपनी के व्यापर से संबंधित समस्त जानकारी रखी जा सकती है और छोटा होने के कारण इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना अत्यंत सरल है। अतः अधिकारी ऑफिस से दूर रहकर भी कार्य कर सकते हैं।
2. मिनी कंप्यूटर (Mini Computer)
सन 1959 में डिजिटल इक्विपमेंट कारपोरेशन (D.E.C) ने प्रोग्रामेबल डाटा प्रोसेसर-1 (P.D.P) बनाकर मिनीं कंप्यूटर के उत्पादन की शुरुआत की थी। इसके संशोधित मॉडल पी.डी.पी 8 में I.C के उपयोग से इस कंप्यूटर के आकार व् कीमत कम हो गए थे, जिससे मिनी कंप्यूटर शब्द का जन्म हुआ। ये एक छोटी अलमारी के बराबर होते थे, इसलिए इन्हें मिनी कंप्यूटर कहा जाने लगा। विसुअल डिस्प्ले यूनिट (V.D.U) और एक कीबोर्ड कहा जाने लगा।
इसमें Visual Display Unit और एक Keyboard के साथ एक tape-drive और एक line printer होता है। इस श्रेणी का सबसे प्रसिद्ध कंप्यूटर P.D.P-11 है, जिसमे 20 लाख शब्दों की जगह। है ये कंप्यूटर micro computer से लाफभाग 5 से 50 गुना तेजी से काम करते हैं। इन कम्प्यूटर्स द्वारा 1 सेकंड में 40 लाख बिट्स (bites) को कंप्यूटर की मेमोरी से बहार निकला जा सकता है।
प्रमुख बात यह की इस कंप्यूटर में networking करके लगभग 8 टर्मिनल जोड़े जा सकते हैं; जिन पर अलग-अलग 8 ऑपरेटर अपने अलग-अलग तरह से काम कर सकते हैं। इस प्रकार यह एक कंप्यूटर, माइक्रो जैसे 8 कंप्यूटर से समतुल्य है।
Mini computer माध्यम आकार तथा Micro Computer की तुलना में अधिक कार्यक्षमता वाले होते है। ये व्यक्तिगत रूप से नहीं ख़रीदे जा सकते, इनका use छोटी या मध्यम स्तर की कम्पनियाँ करती है। ये Micro computer की तुलना में कुछ expensive होते है।
3. मेनफ़्रेम कंप्यूटर (Main Frame Computer)
मेनफ़्रेम कंप्यूटर का प्रयोग मुख्य रूप से networking के लिए किया जाता है। नेटवर्किंग का अर्थ है : एक ही कंप्यूटर से बहुत सारे टर्मिनल (keyboard और monitor) जोड़ दिए जाए ताकि विविध प्रकार के कार्य कंप्यूटर समान्तर रूप से एक ही समय कर सके। नेटवर्किंग दो प्रकार की होती है : (1) लोकल एरिया नेटवर्किंग, (2) वाइड एरिया नेटवर्किंग। लोकल एरिया नेटवर्किंग में टर्मिनल्स का एक ही स्थान पर प्रयोग किया जाता है; जबकि वाइड एरिया नेटवर्किंग में टर्मिनल्स को दूर के किसी भी दूसरे स्थान, किसी अन्य शहर आदि में प्रयोग किया जा सकता है।
मिनी कंप्यूटर द्वारा अधिकतम लोकल एरिया नेटवर्किंग (LAN) की जा सकती है; जबकि मेनफ़्रेम कंप्यूटर वाइड एरिया नेटवर्किंग (WAN) करते हैं। इस कंप्यूटर की speed बहुत ही अधिक होती है। परन्तु नेटवर्किंग में प्रयोग किये गए terminals की संख्याओं और तारों की लम्बाई के अनुसार यह घटती-बढ़ती रहती है।
मेनफ़्रेम कंप्यूटर में हजारों माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है। मेमोरी के लिए मैग्नेटिक टेप और मैग्नेटिक ड्रम का और छपाई (printing) के लिए लाइन laser printer का प्रयोग किया जाता है। इन कम्प्यूटरों में डाटा डालने और परिणाम लेने के लिए मिनी कम्प्यूटरों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें फ्रंट एन्ड फीडर (Front End Feeder) कहा जाता है।
यह केवल computer ही नहीं बल्कि पूरी की पूरी इलेक्ट्रॉनिक data processing पद्धति होती है, जिसमे सभी काम जैसे की डाटा, सूचनाओं या किसी टेक्स्ट का संग्रह एवं विश्लेषण, डाटा और परिणामों की छपाई (printing), किसी टेक्स्ट की नकलें या कापियां बनाना, बड़ी से बड़ी गणनाएं करना तथा ‘Real Time Control’ यानी घटना का विश्लेषण या नियंत्रण, तुरंत बिना किसी विलम्ब के करना आदि, स्वचालित (Automatic) ढंग से होता है।
- इन कम्प्यूटरों पर सभी प्रकार की हाई लेवल भाषाओं का प्रयोग किया जा सकता है।
- इनकी क्षमता 5 से लेकर 100 MIPS (Million Instructions Per Second) होती है यानी 50 लाख से 20 करोड़ अनुदेश प्रति सेकंड में execute कर सकते हैं।
- इनकी word length 32 से 64 बिट होती है।
Mainframe computer आकार में बहुत बड़े तथा इनकी Storage Capacity और speed बहुत अधिक होती है। इनका use बड़ी कंपनियां, Bank, सरकारी विभाग, एक Centralised computer system के रूप में करते हैं। ये 24 घण्टे, सैकड़ों users एक साथ work कर सकतें है। Mainframe computer को एक Network या micro computers को एक साथ जोड़ा जा सकता है।
4. सुपर कंप्यूटर (Super Computer)
सुपर कंप्यूटर मेनफ़्रेम से भी अधिक शक्तिशाली होते हैं। विश्व के प्रथम सुपुर कंप्यूटर का नाम I.L.L.I.A.C है। अंतरिक्ष एवं प्रयोगशालाओं की कार्यवाही, जिसके लिए speed के साथ-साथ यथार्थता एवं विभिन्न अन्य उपकरणों को नियंत्रित करने की क्षमता (जैसे कैमेरा आदि) की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से इस कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
Super Computer सभी श्रेणियों में सबसे बड़े, storage capacity, Speed वाले computer होते हैं। इसमें अनेक c.p.u. parallel series में कार्य करते हैं। इसमें की जाने वाली गणनाये व् process जटिल एवं उच्च कोटि की शुद्धता वाली होती है।
सुपर कंप्यूटर के साथ सदैव सभी इनपुट-आउटपुट devices जोड़कर उसे सुसज्जित रखा जाता है, ताकि वह किसी भी प्रकार का कार्य कर सके। अंतरिक्ष द्वारा मौसम आदि की जानकारी पाने के लिए इस कंप्यूटर का ही प्रयोग करते हैं। जापान की कंपनी N.E.C द्वारा बनाया गया सुपर कंप्यूटर SX-2 ही सबसे अधिक क्षमता (capacity) एवं गति (speed) वाला कंप्यूटर है। भारतीय सुपर कंप्यूटर का नाम परम है।
3. हाइब्रिड कम्प्यूटर्स (Hybrid Computers)
एनालॉग कंप्यूटर और डिजिटल कंप्यूटर के श्रेष्ठ गुणों को सम्मिलित करके हाइब्रिड कम्प्यूटर्स को बनाया गया। एनालॉग कंप्यूटर में किसी भी सिस्टम के नियंत्रण के लिए एक ही क्षण में दिशा-निर्देश मिल जाते हैं। ये computer इन निर्देशों को digital form यानी की डिजिटल रूप में परिवर्तित करके विश्लेषित करने का कार्य करते हैं। इस कार्य के लिए कुछ विशेष यन्त्रों (devices) की आवश्यकता होती है।
मॉडेम (Modulator Demodulator) इसी प्रकार का एक यन्त्र है, जो एनालॉग संकेतों को डिजिटल संकेतों में एवं डिजिटल संकेतों को एनालॉग संकेतों में बदलने का कार्य करता है। हाइब्रिड कंप्यूटर का प्रयोग एक सहायक कंप्यूटर की भाति किया जाता है।
आखिर में हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख (Analog, Digital & Hybrid) कंप्यूटर के प्रकार – Types Of Electronic Computers In Hindi में जरूर पसंद आया होगा और आपको इससे काफी कुछ सीखने-जानने को मिला होगा। आपको यह लेख कैसा लगा कमेंट करके हमें जरूर बताएं तथा अगर आपको इस लेख को लेकर कोई भी doubts है तो आप हमसे पूछ सकते हैं।
इस लेख में आपने Micro Computer, Mini Computer, Main Frame Computer तथा Super Computer एवं उनके Types के बारे में भी जाना।