नागपंचमी क्यों मनाई जाती है तथा इसके पीछे क्या कारण है ? और नागपंचमी का बनाने का उद्देश्य क्या है ? संपूर्ण जानकारी:- हिंदू धर्म में सांप को दैवीय जीव के रूप में पूजा जाता है। प्राचीनकाल से ही नागपंचमी (Nag Panchami) के दिन सांपों की पूजा की जाती रही है।
हिन्दू धर्म पुष्प यानि फूल अग्नि यानी आग और जल यानी पानी हर तत्व की पूजा होती है। ठीक वैसे नाग को भी देवता यानि भगवान मान कर उनकी पूजा की जाती है। नागपंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नागपंचमी (Nag Panchami) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। नाग भगवान् शिव के कंठ पर भी विराजता है।
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नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है, जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
नागपंचमी (Nag Panchami) क्यों मनाई जाती है ?
नागपंचमी (Nag Panchami) के दिन नागों की आराधना की जाती है। इस दिन व्रत भी रखते हैं। कहा जाता है कि इस व्रत करने और व्रत कथा पढ़ने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी का क्या महत्व है ?
ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने और रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। मान्यता यह भी है कि इस दिन सर्पों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं।
प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे नागपंचमी (Nag Panchami) के दिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करनी चाहिए।
मान्यता है कि सर्प ही धन की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं और इन्हें गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करने वाला माना जाता है। नाग, मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं, जो हमारे धन की रक्षा में हमेशा तत्पर रहते हैं।
इसलिए धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नागपंचमी (Nag Panchami) मनाई जाती है। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है।
क्यों मनाया जाता है नागपंचमी (Nag Panchami) का पर्व
नागपंचमी मनाने के पीछे कई प्रचलित कहानियां हैं। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे पीने को कोई तैयार नहीं था। अंतत: भगवान शंकर ने उसे पी लिया।
भगवान शिव जब विष पी रहे थे, तभी उनके मुख से विष का कुछ बूंद नीचे गिरी और सर्प के मुख में समा गई। इसके बाद ही सर्प जाति विषैली हो गई। सर्पदंश से बचाने के लिए ही इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।
(Nag Panchami) नागपंचमी को लेकर एक कहानी यह भी प्रचलित है कि भगवान कृष्ण ने उन्हें यह वरदान दिया था कि जो भी जातक नाग देवता को दूध पिलाएगा, उसे जीवन में कभी कष्ट नहीं होगा।
नागपंचमी के दिन नाग देवता को दूध चढ़ाकर पूजा की जाती है। घर के दरवाजे पर दूध रखने की भी परंपरा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर के आगे दूध रखने से नाग दूध पी लेते हैं, इससे नाग देवता प्रसन्न होते हैं।
नागपंचमी का पर्व मनाने के पीछे कई रोचक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। आईये जानते हैं इस त्योहार के बारे में अन्य खास बातें…
1. भगवान कृष्ण का आशीर्वाद
पुराणों में बताया गया है कि एक बार कालिया नाग ने पूरी यमुना नदी के पानी में अपने शरीर से विष घोल दिया था। बृजवासियों के लिए नदी का पानी जहर बन चुका था। फिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण ने बृजवासियों की समस्या के निवारण के लिए एक चाल चली।
एक दिन वह गेंद ढूढ़ने के बहाने से यमुना में कूद गए और वहां डेरा डाले कालिया नाग को युद्ध में पछाड़ दिया। युद्ध में पराजित होने के बाद कालिया नाग ने नदी में घुले अपने संपूर्ण विष को वापस ले लिया। उस दिन सावन की पंचमी तिथि थी।
इसके बदले में भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी पंचमी के दिन सर्प देवता को दूध पिलाएगा उसके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। उसी दिन से नागपंचमी (Nag Panchami) का त्योहार मनाया जाता है।
2. समुद्र मंथन से भी है संबंध
नागपंचमी मनाने के पीछे समुद्र मंथन से जुड़ी एक और कथा प्रचलित है। मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले हालाहल विष की कुछ बूंदों को सांपों ने पी लिया। इसके बाद से सांप जहरीले हो गए।
इसलिए अपने परिवार को नागदंश से बचाने के लिए नागपंचमी (Nag Panchami) के दिन भक्त सर्प देवता की पूजा करते हैं। भविष्य पुराण में और महाभारत में नागपंचमी की पूजा का संबंध पाण्डव वंशीय राजा जनमेजय के नाग यज्ञ से बताया गया है।
3. पाताल लोक के स्वामी हैं नाग देवता
हिंदू पुराणों में नागों को पाताल लोक या फिर नाग लोक का स्वामी माना जाता है। नागपंचमी के दिन सर्पों की देवी मनसा देवी की विशेष पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में हिमालय श्रृंखला के शिवालिक पर्वत पर मनसा देवी का विशाल मंदिर स्थित है।
मान्यता है कि भगवान शिव के अंश से ही मनसा देवी की उत्पत्ति हुई थी। इन्हें नाग समुदाय की देवी और नागराज वासुकी की बहन भी माना जाता है। मान्यता है कि (Nag Panchami) नागपंचमी के दिन मनसा देवी की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और नाग दंश का भय दूर होता है।
4. देवताओं को भी प्रिय नाग
हिंदुओं के अराध्य देवताओं का सांपों के प्रति विशेष लगाव प्राचीन काल से ही है। शेषनाग पर लेटे भगवान विष्णु हों या फिर कंठ में सर्परूपी माला धारण करने वाले भगवान शिव।
यहां तक कि माता पार्वती के कई मंदिरों में भी नागों की विशेष पूजा होती है। लोग मां दुर्गा के प्रारंभिक स्वरूप के रूप में भी नागों की पूजा करते हैं।
(Nag Panchami) नागपंचमी की पूजा विधि
देश के अलग-अलग जगहों पर नागपंचमी की पूजा अगल तरीके से की जाती है। उत्तरी भारत में लोग सुबह उठकर घर के आगे या पूजा स्थान पर गोबर से नाग बनाते हैं और उनकी दूध, दूब, कुश, चंदन, अक्षत, फूल आदि से पूजा करते हैं।
दक्षिण महाराष्ट्र और बंगाल में यह बड़ा पर्व होता है। केरल में शेषनाग की पूजा होती है. वहीं पश्चिम बंगाल, असम और उड़ीसा में इस दिन नागों की देवी मां मनसा की पूजा की जाती है।
कुछ जातक इस दिन मां सरस्वती की पूजा भी करते हैं। दरअसल यह मान्यता है कि सर्पों में बौद्धिक बल होता है। इसलिए इसदिन सर्पों के साथ मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए भी इस दिन व्रत रखा जाता है। इससे सर्पदंश का भय दूर होता है।
नाग देवता से मांगा जाता है यह वरदान
नागपंचमी (Nag Panchami) के दिन सांपों को दूध और लावा अर्पित करके भक्तजन अपने परिवार के सुख, समृद्धि और सुरक्षा का वरदान मांगते हैं।
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भारत के अलावा यह त्योहार पड़ोसी देश नेपाल में भी धूमधाम से मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर चतुर्थी के दिन भी सांपों की पूजा होती है। इसे “नाग चतुर्थी” भी कहा जाता है।
आखिर में
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