मेमोरी क्या है और कितने प्रकार के होते हैं – (Computer Memory In Hindi) पूरी जानकारी

मेमोरी क्या है और कितने प्रकार के होते हैं – (Computer Memory In Hindi) पूरी जानकारी

आज आप इस लेख में जानेंगे कि मेमोरी क्या है (What Is Memory In Hindi) और मेमोरी कितने प्रकार के होते हैं (Types Of Memory) तथा Computer Memory के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में। तो आईये बिना देरी किये बिना जानते है :-

मेमोरी क्या है ? (What Is Memory In Hindi)

किसी भी निर्देश, सूचना अथवा परिणाम को संचित करके रखना ही स्मृति (Memory) कहलाता है। हमारे मस्तिष्क का भी एक भाग स्मृति के लिए प्रयोग होता है। यदि हमें कोई गणना (calculation) करनी है तो जिन संख्याओं की गणन क्रिया की जानी है, उनको पहले स्मृति में रखते हैं। फिर गणना के उपरांत परिणामो को स्मृति में रखने के बाद ही उत्तर देते हैं।

अतः स्पष्ट है कि हमारे मस्तिष्क में दिए जाने वाले संदेशों, सूचनाओं, निर्देशों आदि को संचित रखने वाला भाग है। कंप्यूटर (computer) द्वारा भी वे सभी कार्य कराये जा सकते हैं; जिनको हम अपने मस्तिष्क में करते हैं। जैसा की हम जानते हैं कि CPU (Central Processing Unit) में होने वाली समस्त क्रियाएं सर्वप्रथम मेमोरी में जाती है। अतः कंप्यूटर की स्मृति (Memory) कंप्यूटर के CPU में होती है।

स्मृति/मेमोरी की इकाई

मेमोरी की क्षमता (capacity) नापने वाली इकाई BIT, BYTE, KB, MB एवं GB होती है।

  • BIT – यह कंप्यूटर की मेमोरी की सबसे छोटी इकाई है। यह मेमोरी में एक बाइनरी अंक 0 अथवा 1 को संचित किया जाना प्रदर्शित करती है। यह Binary Data का सूक्ष्म रूप है।
  • BYTE – यह कंप्यूटर मेमोरी की मानक इकाई है। कंप्यूटर की मेमोरी में कीबोर्ड से दबाया गया प्रत्येक अक्षर, अंक अथवा विशेष चिन्ह ASCII Code में संचित होते हैं। प्रत्येक ASCII Code 8 Bit का होता है। इस प्रकार किसी भी अक्षर को मेमोरी में संचित करने के लिए 8 Bit मिलकर 1 Byte बनती है।
  • KB – इसका अर्थ है किलोबाइट (Kilo Byte); 1 KB, 1024 Byte के बराबर होती है।
  • MB – इसका अर्थ है मेगाबाइट (Mega Byte); 1 MB, 1024 KB के बराबर होती है।
  • GB – इसका अर्थ है गीगाबाइट (Giga Byte); 1 GB, 1024 MB के बराबर होती है।

मेमोरी के प्रकार (Types Of Memory)

मेमोरी दो प्रकार की होती है –

  • अस्थायी मेमोरी (Temporary Memory)
  • स्थायी मेमोरी (Permanent Memory)

अस्थायी मेमोरी (Temporary Memory)

जब हम कंप्यूटर को ON करके कोई सूचना देते हैं; तो वे कंप्यूटर की मेमोरी में store हो जाती है। जब तक कमांड द्वारा वे सूचनायें मिटाई न जाएँ अथवा कंप्यूटर को OFF न किया जाए, तब तक वे सूचनायें कंप्यूटर की मेमोरी में संचित रहती है। परन्तु कंप्यूटर को OFF करते ही ये सूचनायें मेमोरी से साफ़ हो जाती है।

यह समस्त सूचनायें कंप्यूटर की RAM पर संचित (store) होती है। कंप्यूटर में RAM पर सूचनायें स्टोर करने के लिए हमें किसी कमांड की आवश्यकता नहीं होती। जो भी सूचना किसी इनपुट डिवाइस द्वारा कंप्यूटर को दी जाती है, वह तुरंत RAM में जाकर संचित हो जाती है। चूँकि इस प्रकार की मेमोरी में संचित सूचनाओं को कंप्यूटर को पुनः ON करने पर प्रयोग नहीं कर सकते, अतः इसे अस्थायी मेमोरी (Temporary Memory) कहा जाता है। RAM को कंप्यूटर की Basic Memory भी कहा जाता है।

स्थायी मेमोरी (Permanent Memory)

जब हम कंप्यूटर को ON करते हैं तो मॉनीटर स्क्रीन पर कुछ सन्देश प्रदर्शित होते हैं। कंप्यूटर में सर्वप्रथम RAM की जांच होती है। यदि उसमे कोई खराबी है तो उससे सम्बंधित सन्देश का स्क्रीन पर प्रदर्शन होता है अथवा ध्वनि संकेत प्राप्त होता है। इसके बाद कंप्यूटर से संलग्न आवश्यक इनपुट-आउटपुट डिवाइसेस जैसे की – कीबोर्ड, फ्लॉपी ड्राइव आदि को बारी-बारी से check करता है और अगर इनमे से कोई डिवाइस ख़राब हो या ठीक से न जुड़ी हो, तो कंप्यूटर की स्क्रीन पर लिखकर बता देता है।

यदि अभी तक सब ठीक चल रहा है, तो कंप्यूटर की स्क्रीन पर यह निर्देश उपस्थित होता है, कि फ्लॉपी-ड्राइव में DOS (ऑपरेटिंग सिस्टम) की फ्लॉपी लगाकर कीबोर्ड की भी बटन दबा दें। यह सभी निर्देश एवं सन्देश जो कंप्यूटर हमें दर्शा रहा है, वह कंप्यूटर की परमानेंट मेमोरी में स्टोर रहते हैं साथ ही कुछ प्रोग्राम भी ROM में रहते हैं, जिनके अनुसार निर्देश मिलने पर उपरोक्त ‘मैसेज’ स्क्रीन पर उपस्थित होते हैं।

कंप्यूटर को चाहे जितनी बार ऑन या ऑफ किया जाए, इस प्रोग्राम पर जो कंप्यूटर की स्थायी मेमोरी (Permament Memory) ROM पर स्थित है, कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह वैसे ही संचित (stored) रहता है, इस मेमोरी को स्थायी मेमोरी कहा जाता है।

मेमोरी में प्रोग्राम को संचित (Store) करने की विधि

कंप्यूटर की मेमोरी में प्रोग्राम को संचित करने के निम्नांकित दो विधियां हैं :

  1. SAM (Sequential Access Memory)
  2. RAM (Random Access Memory)

SAM (Sequential Access Memory)

SAM का अर्थ है क्रमिक अधिगम मेमोरी अर्थात क्रमवर लिखना या पढ़ना। जिस प्रकार हम कैसेट पर गाना रिकॉर्ड करते हैं और यदि किसी कैसेट पर स्टोर 5वे गाने को सुनना चाहते हैं तो पहले आरम्भ के 4 गानों को फॉरवर्ड (बढ़ाना) करना होगा। इसी प्रकार जब कंप्यूटर का डाटा मैग्नेटिक टेप पर स्टोर किया जाता है, तो वह भी ठीक इसी प्रकार लिखा या पढ़ा जाता है। स्टोर करने की प्रणाली की इस पद्धति को Sequential Access Memory कहा जाता है।

RAM (Random Access Memory)

RAM का अर्थ है अक्रमिक मेमोरी अर्थात किसी निश्चित क्रम में लिखना व् पढ़ना। जिस प्रकार गाने को ग्रामोफ़ोन के रिकॉर्ड पर सुनने के लिए किसी क्रम की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि यदि उस पर स्टोर 5वां गाना सुनना है, तो ग्रामोफ़ोन की सुई डायरेक्ट उस गाने पर रख देते हैं और वह बजने लगता है। ठीक उसी प्रकार फ्लॉपी पर कंप्यूटर प्रोग्राम को लिखना और पढ़ना है।

कंप्यूटर की आतंरिक मेमोरी जी IC (Integrated Circuit) पर store की जाती है वह हमेशा अक्रमिक अभिगम पद्धति से ही लिखी अथवा पढ़ी जाती है। अतः RAM एवं ROM दोनों ही IC वस्तुतः RAM ही होती है।

कंप्यूटर की मेमोरी के भाग

कंप्यूटर की मेमोरी को दो भागो में बता जा सकता है :

  1. आतंरिक मेमोरी (Internal Memory)
  2. बाह्या मेमोरी (External Memory)

आतंरिक मेमोरी (Internal Memory)

मेमोरी के बारे में इससे पूर्व जो जानकारी दी गयी, वह आतंरिक मेमोरी के बारे में ही थी। कंप्यूटर की आतंरिक मेमोरी, IC पर store की जाती है, वह Semi Conductor Memory भी कहलाती है। कंप्यूटर की आतंरिक मेमोरी का विभाजन दो भागो में किया जा सकता है।

  1. RAM (Random Access Memory)
  2. ROM (Read Only Memory)

RAM (Random Access Memory)

इस मेमोरी में हम (operator) अपने प्रोग्राम को कुछ देर के लिए स्टोर कर सकते हैं। साधारण भाषा में इस मेमोरी को RAM कहते हैं। यही कंप्यूटर की बेसिक मेमोरी कहलाती है। यह निम्नलिखित दो प्रकार की होती है।

डायनामिक रैम (DRAM)

डायनामिक का अर्थ है गतिशील। इस RAM पर यदि 10 आकड़े संचित कर दिए जाए और फिर उनमे से बीच के दो आकड़े मिटा दिए जाए, तो उसके बाद वाले बचे सभी आकड़े बीच के रिक्त स्थान में स्वतः चले जाते हैं और बीच के रिक्त स्थान का उपयोग होता है।

स्टैटिक रैम (SRAM)

स्थैतटिक रैम में संचित किये गए आंकड़े रहते हैं। इस RAM में बीच के दो आकड़े मिटा दिए जाए तो इस खली स्थान पर आगे वाले आकड़े खिसककर नहीं आएंगे। फलस्वरूप यह स्थान तब तक प्रयोग नहीं किया जा सकता, जब तक की पूरी मेमोरी को ‘वाश’ करके नए सिरे से काम शुरू न किया जाए।

ROM (Read Only Memory)

ROM (रीड ओनली मेमोरी) उसे कहते हैं, जिसमे लिखे हुए प्रोग्राम के आउटपुट को हम केवल पढ़ सकते हैं। परन्तु उसमे अपना प्रोग्राम संचित नहीं कर सकते हैं। ROM में अक्सर कंप्यूटर निर्माताओं द्वारा प्रोग्राम संचित करके कंप्यूटर में स्थायी कर दिए जाते हैं, जो समानुसार कार्य करते रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेटरइ को निर्देश देते रहते हैं।

बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम (Basic Input Output System : BIOS) नाम का एक प्रोग्राम ROM का उदाहरण है, जो कंप्यूटर के ऑन होने पर उसकी सभी इनपुट, आउटपुट डिवाइसेस को चेक करने एवं नियंत्रित करने का काम करता है। आरम्भ में ROM के लिए यह बाध्यता थी कि कंप्यूटर निर्माता भी एक बार किसी प्रोग्राम को IC पर स्टोर करने के बाद उसे नहीं मिटा सकते थे और न ही उस प्रोग्राम को संशोधित कर सकते थे। परन्तु बाद में PROM, EPROM, EEPROM नाम की मेमोरी रखने वाली IC बनायीं गयी, जिनके अलग-अलग लाभ हैं।

प्रोग्रामेबल प्रॉम (PROM)

इस मेमोरी में किसी प्रोग्राम को केवल एक store किया जा सकता है। परन्तु न तो उसे मिटाया जा सकता है और न ही उसे संशोधित किया जा सकता है। यदि किसी प्रकार विद्दुत व्यवधान आदि के कारण इस IC का प्रोग्राम ख़राब हो जाए तो यह पूरी IC बेकार हो जाती है।

इरेजेबिल प्रॉम (EPROM)

इस IC में संचित किया गया प्रोग्राम पराबैगनी किरणों के माध्यम से मिटाया भी जा सकता है। फलस्वरूप IC दोबारा भी प्रयोग की जा सकती है। यदि कोई प्रोग्राम बहुत समय पहले संचित किया गया था, जिसे मिटाकर उसके स्थान पर हम एक नया प्रोग्राम संचित करना चाहते हैं, तो यह कार्य इस IC पर संभव है। परन्तु क्योंकि मिटने का कार्य अल्ट्रा वायलेट किरणों के माध्यम से होता है, अतः यह कार्य करने के लिए एक विशेष यन्त्र की आवश्यकता होती है, जिसे आई.सी प्रोग्राम कहते हैं।

इलेक्ट्रिकली इ प्रॉम (EEPROM)

इलेक्ट्रिकली इरेजेबिल प्रॉम पर स्टोर किये गए प्रोग्राम को मिटाने अथवा संशोधित करने के लिए किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। इलेक्ट्रिकली सिग्नल जो की कंप्यूटर में उपलब्ध रहते हैं, हमारे द्वारा कमांड्स दिए जाने पर वह इस प्रोग्राम को संशोधित कर देते हैं।

बाह्या मेमोरी (External Memory)

कंप्यूटर पर अपने किये गए कार्य संचित करने के लिए एक्सटर्नल मेरमोरी RAM और SAM दोनों प्रकार से कार्य करती है। इनकी संग्रहण क्षमता आतंरिक मेमोरी की अपेक्षा अत्यधिक होती है। ये अपेक्षाकृत सस्ती होती है। परन्तु एक्सटर्नल मेमोरी की कार्य-गति आतंरिक मेमोरी के अपेक्षा अत्यंत कम होती है। मुख्य External Memory Storage Devices – फ्लॉपी डिस्क, हार्डडिस्क आदि हैं।

आखिर में – Computer Memory In Hindi

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख मेमोरी क्या है (What Is Memory In Hindi) और मेमोरी कितने प्रकार के होते हैं (Types Of Memory) पसंद आया होगा तथा कंप्यूटर मेमोरी से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब मिल गए होंगे। आपको यह लेख कैसा लगा कमेंट करके अपनी राय जरूर दें एवं ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आप हमारे Allhindime Telegram से जुड़ सकते हैं।

7 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here