आज के समय में social media इस कदर हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया कि – उसके बिना हम वर्तमान एवं भविष्य की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। लेकिन सोशल मीडिया का बच्चों, युवा एवं समाज पर नकारात्मक प्रभाव आदि कुछ ऐसे सवाल हमारे समक्ष आ गए हैं, जिसे हमें समझने की जरुरत है।
क्योंकि जिस प्रकार कोई भी चीज का ज्यादा इस्तेमाल करने से हमें, हमारे आसपास के वातावरण एवं आने वाली पीढ़ी को नुक्सान पहुंचाती है, ठीक उसी प्रकार social media के भी कुछ ऐसे सकारात्मक प्रभाव के साथ-साथ नकारात्मक प्रभाव है, जो न केवल students, youngster यहां हमारी society को अपने बस में किया अपितु पूरे दुनिया में अपना जादू बिखेर दिया है।
यहाँ मेरे कहने का यह मतलब नहीं है कि सोशल मीडिया के आने से हमारी lifestyle में बुरा असर डाला है। क्योंकि आज के समय में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया की help से अपनी एक अलग personality या यूँ कहे तो पहचान बनायीं है, जो न केवल उन्हें पैसे कमाने में सहायक होती है साथ ही अच्छी fame और दुनिया की हर खुशी को पूरा करने में भी सहायता करती है।
इस प्रकार हमें social media इस्तेमाल करने के कुछ सही पक्ष देखने को मिल जाता है। आज हम जो कुछ भी online education प्राप्त कर पा रहें हैं, उसमे social media का काफी role है। वहीँ इसके कुछ ऐसे नकारात्मक या disadvantages की बात करें, तो आज यह समस्या बहुत ही विकराल रूप ले लिया है।
आज के समय में dipression (तनाव) यह जो शब्द है, बहुत ही खतरनाक हो गयी है। क्योंकि इसमें लोग अपने आपको इस कदर अकेला महसूस करने लगते हैं कि वो अपने आसपास के लोगों के बीच रहने के बावजूद भी परेशान, हताश व् खुश नहीं रहते हैं। इससे उन्हें न किसी भी field में growth मिलती है और न ही भविष्य में सफलता मिलती है।
इसका मुख्य कारण यह है कि – लोग social media को अपने life का हिस्सा बना लिया है, जिससे वो दूसरे को समय नहीं देना चाहते और अकेले रहना पसंद करने लगते हैं। जिसकी वजह से health को लेकर भी समस्याएँ बढ़ने लगी हैं। एक समय हुआ करता था, जब लोग साथ में आपस में बैठा करते थे और एक दूसरे से अपनी बाते साझा करते थे।
लेकिन आज यह सपना-सा लगने लगा है, खुशी life में न के बराबर है। Social Media की वजह से लोगों के बीच trust भी कम होने लगा है। क्योंकि trust यानी की विश्वास साथ रहने से बनता है, न की एक दूसरे से दूर रहकर।
तो इन्हीं समस्याओं को देखते हुए, मैं इस article में आपको Negative Iimpact Of Social Media On Children Youth & Society In Hindi में अपने खुद के विचार साझा करने की कोशिश किया है और मुझे उम्मीद है कि – आपको इससे काफी कुछ सीखने और जानने को मिलेगा।
1. याददाश्त में आती है कमी
सोशल मीडिया पर किए एक study के मुताबिक सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल याद्दाश्त पर विपरीत असर डालता है। ऐसे लोगों के दिमाग में महत्वपूर्ण जानकारी सुरक्षित नहीं रह पाती।
दरअसल खाली समय में दिमाग जानकारियों को सुरक्षित (store) करने का काम करता है। लेकिन फ्री टाइम में भी लोग ऑनलाइन गतिविधियों (online activities) में व्यस्त रहते हैं, जिसके चलते उनके दिमाग को आराम नहीं मिल पाता और इसका सीधा असर उनकी याद्दाश्त पर पड़ता है।
2. एकाग्रता होती है प्रभावित
पढ़ाई के दौरान भी बच्चों का ज़्यादातर ध्यान अपने फ़ोन पे आने वाले messages और notification पर ही रहता है, जिसकी वजह से उसका ध्यान पढ़ाई पर केन्द्रित नहीं हो पाताl
सोशल मीडिया sites एवं apps की वजह से होने वाली Distraction यानि व्याकुलता के कारण विद्यार्थियों की अकादमिक परफॉरमेंस में भी गिरावट आती हैl
3. आत्मसम्मान पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव
जब बच्चे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों द्वारा शेयर किए गए photo अथवा status messages देखते हैं, तो वे अपनी उपलब्धियों की तुलना अपने दोस्तों की उपलब्धियों से करने लग जाते हैंl
उदाहरण के लिए, यदि एक बच्चा किसी ख़ास स्थान पर छुट्टी मनाने के लिए जाना चाहता था लेकिन किसी वजह से वहां नहीं जा पाया और उसका ही एक दोस्त उसी जगह पर ली गई अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड कर देता है तो वह बच्चा काफी निराश महसूस करने लगता हैl
इसके अलावा अपनी फ़ोटो अथवा स्टेटस पर मिलने वाले likes और comments की संख्या अपने किसी दोस्त के मुकाबले कम होने पर भी बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगता है। क्योंकि वे इन लाइक्स और कमेंट्स को अपनी शक्सियत की अहमियत से जोड़ लेते हैं।
4. Communication Skills में आती है कमी
हमेशा ऑनलाइन chatting में व्यस्त रहने वाले students में समाजिकता की कमी आ जाती है अर्थात् वे निजी तौर पर लोगों से आमने-सामने संवाद करने से बचते हैं, जिसके चलते उनमें कम्युनिकेशन स्किल्स की कमी आती हैl
जबकि जीवन के हर क्षेत्र चाहे अकादमिक हो या प्रोफेशनल, बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल्स का होना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि प्रभावी बातचीत की कला आपके सफल होने के chance बढ़ा देती है।
5. चिंता और तनाव को देता है बुलावा
सोशल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से ऑनलाइन दोस्त बनाने का चलन भी बढ़ते जा रहा है, जिसमें आप ऐसे किसी इन्सान को अपना friend बनाते हो, जिसको आप निजी तौर पर न तो जानते हो और न ही कभी मिले हो।
इस तरह की गई दोस्ती में विश्वास (trust) की कमी रहती है और जितनी जल्दी ऐसे रिश्ते बनते हैं उतनी ही जल्दी टूट भी जाते हैं। मानसिक तौर पर ज़्यादा मज़बूत न होने की वजह से किशोरों में ऐसे टूटते रिश्ते दिमागी चिंता और तनाव का कारण बनते हैं, जो की बेहद गंभीर समस्या है।
इसके लिए हमें जरुरी है कि – हम ऐसे दोस्त बनाये, जो हमारे लिए अच्छा हो एवं हर तरफ से हमारे हित एवं growth में सहायता करें। क्योंकि यह मेरे खुद के अनुभव है कि – अगर life में अच्छा दोस्त मिल जाए चाहे वह कोई girl हो या फिर boy, हम अपने life के हर problem को solve कर सकते हैं एवं उससे आगे बढ़कर सफल हो सकते हैं।
6. लगातार बिगड़ती सेहत
जब से दुनिया में लगातार internet और technology बढ़ने लगी है एवं social media जैसे platforms का लगातार इस्तेमाल होने में इजाफा होने लगा है, तब से लोगों की हंसी-ख़ुशी जिंदगी ख़राब-आदतों की वजह से बुरी तरह से ख़राब हो गयी है।
लोग दिनों दिन सेहत को लेकर परेशान होते जा रहें हैं, क्योंकि वो अपना समय ऐसे environment (वातावरण) में बिता रहें हैं, जहाँ वो physcial activities नहीं कर पाते और यही वजह है कि – लोग मानसिक के साथ-साथ pyhsically कमजोर होते जा रहें हैं।
7. गुस्सा एवं चिड़चिड़ापन
यह देखा गया है कि – जो लोग social media का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उन्हें ज्यादा गुस्सा एवं चिड़चिड़ापन जरूर आता है, जो सही मायने में हमारे लिए बिलकुल गलत है।
क्योंकि ऐसा होने से हम जो कुछ भी सीखते हैं, उसे जल्दी से याद नहीं कर पाते एवं सोचने की क्षमता कम हो जाती है। साथ ही इसकी वजह से हमारी body भी सही तरीके से काम नहीं करती और हम creativity जैसी चीजे भी नहीं कर पाते।
8. जीवन में ख़ुशी के वजाय मायूसी
मेरे अनुभव में दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें किसी भी प्रकार की problem नहीं होनी चाहिए। लेकिन फिर भी वो अपने life में खुश नहीं रहते और उसकी वजह से वो सोचते हैं कि सोशल मीडिया में समय बिताने से यह समस्या का हल हो जाएगा।
लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है, जब तक हम लोगों के बीच रहेंगे नहीं और एक-दूसरे को समझेंगे नहीं तब तक यह समस्या solve नहीं हो सकती है। इसके साथ social media की वजह से हमारा बहुत समय loss यानी बर्बाद हो जाता है। जिसकी वजह से हम धीरे-धीरे बहुत पीछे चले जाते हैं और एक समय ऐसा आता है कि चाहकर भी उसे recover नहीं कर सकते हैं।
मेरी अंतिम राय – सोशल मीडिया का बच्चों, युवा एवं समाज पर नकारात्मक प्रभाव
मेरे विचार में हमें कभी-भी social media पर की गतिविधियों को जिंदगी का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। इसके लिए माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों को इनका सही प्रयोग करना बताएं व उनकी हर गतिविधियों से परिचित रहें।
सोशल मीडिया अपने friends, family members एवं globally लोगों से जुड़े रहने का एक बेहतरीन साधन है। लेकिन जिस प्रकार हर चीज़ के नुकसान व फ़ायदे दोनों होते हैं, सोशल मीडिया के इस्तेमाल में भी कुछ यही हाल है। ऊपर social media के negative effects बताने का हमारा मकसद ये नहीं कि सोशल मीडिया का बहिस्कार ही कर दिया जाए।
बल्कि इससे हम आपको सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल से होने वाली परेशानियों से वाकिफ करवाना चाहते हैं, जिनसे लोग जानते हुए भी अनजान बने रहते हैं। So finally, उम्मीद करती हूँ की यह लेख सोशल मीडिया का बच्चों, युवा एवं समाज पर नकारात्मक प्रभाव पढ़कर काफी अच्छा लगा होगा।
आपको यह लेख कैसा लगा comment करके जरूर बताएं एवं अगर फिर भी आपको इसमें बताये disadvantages of social media in hindi को लेकर कोई सवाल है तो आप इसके सन्दर्भ में पूछ सकते हैं। इसके साथ-साथ आपसे यह विनम्र अनुरोध है कि आप इस article को एक दूसरों लोगों के साथ जरूर साझा करें। ताकि उन्हें भी इससे कुछ सीखने और जानने को मिल सके।
Well Said
True✍️💯