जैसा कि आप सभी अपने समाज मे देख रहे है कि युवाओं की सोच के बदलते प्रभाव से हमारा समाज कैसा हो गया है, जिसकी वजह से उनके अंदर संस्कार, शुभ आचरण व सभ्यता के गुण मिल पाना असंभव-सा लगता है।
अगर हम पिछले 10-15 साल पहले का समाज देखे तो वो इतना बिगड़ा हुआ नही था, जितना इस समय पे है, सबसे ज्यादा तो सोशल मीडिया के ही आने से सभी युवाओ में बदलाव आया है।
ऐसा नही है कि सोशल मीडिया बेकार है। मेरा तो मानना है कि यह ज्ञान का स्रोत है। लेकिन बहुत से युवक इसका दुरुपयोग करके गलत संदेश भी देते है, जिसके कारण जो इससे ज्ञान प्राप्त करते है उन्हें कम लोग जान पाते है और जो इसका दुरुपयोग करते है; वे इस समय चलन में है।
जैसे कि shorts, reels से अपने मनोरंजन के लिए दूसरों का समय व्यर्थ करते है और ये एक ड्रग की तरह पूरे सोशल मीडिया व समाज मे फैला हुआ है कि जिसका नशा इतना खतरनाक है कि एक Slow Poison की तरह उनके future में enter कर रहा है कि उन्हें पता भी नही चल पा रहा है।
अगर विचार करे तो यह बहुत ही गहन चिन्ता का विषय है, इसका दोषी कोई नही बल्कि हम (आज की युवा पीढ़ी) है और वह जरा भी विचार नही करते हैं कि यह सही है या नही। वह उसका तुरंत अनुकरण करने लगते है।
आज कल कोई मेहनत नही करना चाहता है, सिर्फ सुख सुविधा भरी ज़िन्दगी का सपना संजोते है। उसको पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है और वह ये नही सोचते कि हम जो कर रहे है उसका स्वयं पर, अपने परिवार पर, समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उससे हमारी आने वाली पीढ़ी क्या सीखती है और हम समाज को क्या संदेश दे रहे है।
Really Inspiring Aanya beta
You are the inspiration of youth
Nice article..hamen isse kafi kuch seekhne aur life me implement karne ki jarurat hai… keep it up..
Very Good Thought… I hope ki aapki yah Chhoti par bahot prabhavit soch duniya ke har yuva pidi tak pohanche aur usko apne niji jivan me follow kare….
Thanks Aanya….Keep it up…